छत्तीसगढ़

आत्मा की तरह अजर, अमर है स्पेक्ट्रम, टेलीकॉम बिल मसौदे पर महुआ का तंज

नईदिल्ली I तृणमूल कांग्रेस की नेता और सांसद महुआ मोइत्रा फिर से चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने टेलीकॉम बिल के मसौदे को लेकर तंज कसा है. उन्होंने ट्विटर पर टेलीकॉम मसौदे के एक पेज को शेयर किया और उसमें लिखी बातों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि वह संसद में श्रीमद् भागवत गीता की एक कॉपी भी संसद में ले जाने की बात की है. दूरसंचार विधेयक के जरिये सरकार इस क्षेत्र में सुधार करने की कोशिश कर रही है.

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है, ‘जैसा कि श्रीमद् भगवत गीता में कहा गया है कि आत्मा अजर, अमर है, वैसे ही स्पेक्ट्रम भी अजर अमर है. आत्मा की तरह ही स्पेक्ट्रम भी भौतिक रूप से मौजूद नहीं है, लेकिन यह फिर भी सर्वव्यापी है. यह कोई आध्यात्मिक कथन नहीं है. यह टेलीकॉम बिल के एक्सप्लेनेटरी नोट का पेज 5 है. इसे भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है.’ यही बात टेलीकॉम बिल के मसौदे के पेज पर लिखी हुई है, जिसे मोइत्रा ने शेयर किया है.

गीता लेकर जाऊंगी: मोइत्रा

इसके साथ ही टीएमसी नेता ने कहा, ‘मैं संसद की स्टैंडिंग कमेटी के सामने जब जाऊंगी तो गीता की अपनी कॉपी लेकर जाऊंगी. यह साफतौर पर पढ़ने की जरूरी सामग्री है.’ महुआ मोइत्रा ने अपने इस ट्विटर पोस्ट पर कांग्रेस नेता शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम और थामीजाची थंगापाडियन को भी टैग किया है. लेकिन इन तीनों नेताओं में से किसी ने भी अब तक मोइत्रा के पोस्ट पर रिप्लाई नहीं दिया है. बता दें कि सरकार की ओर से तैयार किए गए टेलीकॉम बिल का मकसद मौजूदा कानून में संशोधन करना है. ताकि दूरसंचार सेवाओं, दूरसंचार नेटवर्क और दूरसंचार इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विकास किया जा सके.

20 अक्टूबर तक मांगी गई है लोगों की राय

टेलीकॉम बिल के मसौदे को दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है और इस पर लोगों से 20 अक्टूबर तक राय मांगी गई है. इस मसौदे में वाट्सएप, जूम और गूगल डुओ जैसी कंपनियों को देश में लाइसेंस देने का भी प्रावधान है. वहीं दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कहा है कि नया दूरसंचार विधेयक उद्योग के पुनर्गठन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट रास्ता तैयार करेगा. उन्होंने पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में कहा कि अगले डेढ़ से दो साल में सरकार पूरे डिजिटल नियामक ढांचे को नया रूप देगी. इसका मकसद सामाजिक उद्देश्यों, व्यक्तियों के कर्तव्य और अधिकार, प्रौद्योगिकी ढांचे आदि के बीच संतुलन कायम करना है.

वैष्णव ने कहा, उद्योग विभिन्न चरणों से होकर गुजरता है. कभी कारोबारी वातावरण, प्रौद्योगिकी बदलाव और विभिन्न अन्य कारकों के चलते. इसलिए पुनर्गठन की जरूरत होती है. इसे विधेयक में कैसे शामिल करें, ताकि उद्योग को एक बेहद स्पष्ट रास्ता मिल सके?’